Education
शिक्षा मनुष्य को आत्मनिर्भर बनाती है। इसलिए शिक्षा समाज की प्रथम आवश्यकता है। भारत के गुरुकुलों में ऋषियों-मुनियों ने भारत के स्व (selfhood) के विचार-दर्शन और एवं उसकी पूर्ति के लिए उन्नत शिक्षा प्रणाली की स्थापना की है। समाज हित में व्यक्ति निर्माण, शिक्षा का केन्द्रीयभाव रहा है। भारत की उज्जवल विरासत, परम्पराएं, संस्कृति के प्रति निष्ठा रखने वाली शिक्षा सभी को मिले, इस उद्देश्य से सम्पूर्ण भारत के शहरों की पिछड़ी बस्तिओं, सुदूरवर्ती वनांचलों में तथा शिक्षा से वंचित ग्रामीण क्षेत्र के लिए संघ के स्वयंसेवकों ने सेवा भारती के माध्यम से शिक्षा के अवसर सर्व-सुलभ किये हैं। शिक्षा आयाम के प्रमुख प्रकल्प जिनका स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति हंतु प्राथमिकता से संचालन किया जा रहा है।
6 से 14 वर्ष आयु के बालक-बालिकाओं को अपनी संस्कृति तथा भारत के महापुरुषों के श्रेष्ठ जीवन का परिचय कराते हुए उनके जीवन निर्माण के उद्देश्य से बाल संस्कार केन्द्र चलाये जाते हैं। ऐसे केन्द्र सप्ताह में एक बार अथवा प्रतिदिन भी बस्ती में 20 से 40 बालक- बालिकाओं के एकत्रीकरण के साथ चलते हैं।